आज आनंदपाल मृत्यु को पुरे चार दिन गुजर चुके है।इधर आनन्दपाल के परिजन और समर्थक संगठन इस पुरे प्रकरण की सीबीआई जाँच पर अड़े और उधर प्रशासन भी तस से मस नहीं हो रहा है।आनंदपाल का पैतृक गांव सावंराद पुलिस की छावनी में तब्दील हो चूका है।एक तरफ देश के कई राज्यो सीमा वर्ती राज्यों हरियाणा ,मध्यप्रदेश के साथ साथ राजस्थान के कोने कोने से आये आनन्दपाल के सार्थक संगठनो की हजारों की भीड़ और दूसरी और पुलिस प्रशासन का अमला।इन सबके बीच पोस्टमार्टम के बाद राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में रखा मृतक आनंदपाल का शव।इस पुरे प्रकरण में अगर निष्पक्षता और पारदर्शिता बरती गयी है तो प्रशासन को सीबीआई जाँच से क्यों परहिज हो रहा है।प्रशासन पर तो फर्जी एनकाउंटर की तलवार वैसे ही लटक रही तो प्रशासन को तो खुद आपनी बेगुनाही के लिए सीबीआई की जाँच का समर्थन करना चाहिए। लेकिन इस पुरे प्रकरण में पुलिस प्रशासन की भूमिका तो संदिग्ध नज़र आ ही रही है साथ ही प्रशासन की चुप्पी भी कई सवाल उठा रही है।आनंदपाल की मृत्यु के साथ ही कई सियासी राज दफन हो गए थे अब उसकी मृत्यु के राज को भी प्रशासन उसका अंतिम संस्कार कर हमेशा हमेशा मिटाने की तैयारी कर चूका है। प्रशासन ने आनंदपाल की पत्नी राज कँवर के नाम से एक नोटिस भेज है जिसमे कहा गया है की अगर चौबीस घण्टो के अंदर परिजन मृतक आनंदपाल ले शव को लेकर अंतिम संस्कार नहीं कर देंगे तो राजस्थान पुलिस नियम 1965 के के लियम 6.36 के अनुसार पुलिस विभाग मृतक आनंदपाल के शव का अंतिम संस्कार कर देगा।मतलब प्रशासन पूरी तैयारी कर चूका है इस बाकि बचे खुचे राज को हमेशा हमेशा के लिए दफनाने की।
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