देश का कौना कौना, आनंदपाल नाम की चिंगारी से सुलग चूका है। बिहार उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश राजस्थान हरियाणा गुजरात और धीरे धीरे यह आग लगभग भारत के हर हिस्से में फैलने को आतुर होती नज़र आ रही है। प्रशासन भी अब सकते में है क्यों की प्रशासन ने कभी सोचा भी नहीं होगा की सियासी शतरंज के इस खेल में अपराध की दुनियां के जिस हाथी का शिकार करने जा रहे है उसके बाद हालात इतने बदत्तर हो जायेंगे।सियासी हलकों में अब ऐसा तूफान आ चूका है जिसकी हलचल दिल्ली की सियासत तक को महसूस हो रही है। जिन्दा आनंदपाल से ज्यादा तो मरने के बाद आनंदपाल सियासत के गलियारों के लिए घातक साबित हो रहा है। अब आनंदपाल तो नहीं रहा,रहा है तो सिर्फ उसका नाम जो सियासत के सामने एक ऐसा ज्वालामुखी बन चूका है जो किसी भी क्षण फट सकता है। इस ज्वालामुखी की तपिस पूरब से लेकर पश्चिम तक उत्तर से लेकर दक्षिण तक महसूस हो रही है।इसके साथ ही सियासत के गलियारों के ऐसे ऐसे नाम आनंदपाल के परिवार के साथ खड़े नज़र आ रहे है जो सियासत में अपना खासा प्रभाव रखते है।और साथ ही राजपूत समाज का हर एक संगठन भी आनंदपाल के परिवार के साथ खड़ा नज़र आ रहा ।सुनने में आ रहा है की राजा भैया जो की आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद उसके पैतृक गांव सांवराद पहुचने के कायास लगाये जा रहे है। लेकिन साथ ही चिंता यह भी जताई जा रही है राजस्थान की मुख्यमंत्री और राजाभैया की आपसी रिस्तेदारी के वजह से कहीं कोई समझोतावादी बातें ना निकल कर आ जाये। अब यह तो वक्त ही तय करेगा की कब और क्या होने वाला है??वैसे राजा इससे पहले भी एक बार आनंदपाल के साथ खाड़े नज़र आये थे।
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