आनंदपाल के एनकाउंटर के आज 3दिन हो चुके है। लेकिन परिवार वालों ने आनंदपाल के शव को लेने से इंकार कर दिया ।आनंदपाल का अभी अंतिम संस्कार भी नही हुआ और जन कायास शुरू हो गए है वो भी उसकी बेटी चरणजीत उर्फ़ चीनू को लेकर।वैसे अगर समाचार पत्रिकों में प्रकाशित खबरों के माने तो चीनू के बारे में यह कहा जा रहा है की जेल में आनंदपाल की सुरक्षा को लेकर वो खासी चिंतित थी। उसने दुबई में रहते हुए आनंदपाल की फरारी में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की बता रहे है और पुलिस भी इसी मुद्दे को लेकर हिरासत में लेने की बात कर रही है जो आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद शायद पुलिस के लिए यह सम्भव होता नज़र नहीं आ रहा है। क्यों की एपी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद राजपूत समाज में भारी जनाक्रोश है।ऐसे में सियासती सरगर्मियां भी तेज हो चुकी है लोग तो यहां तक कायास लगा रहे है की आनन्दपाल की मृत्यु के बाद जिस तरह आनंदपाल को जनता की सहानुभूति मिल रही है पार्टियाँ अभी से उसे भुनाने के प्रयास में जुट चुकी है और यह भी अतिश्योक्ति नहीं होगी की जिस सियासत ने आनंदपाल की हत्या में महत्वपुर्ण भूमिका अदा की ,सहानुभूतिवस उ उसी सियासत में चीनू की ताजपोशी कर दी जाये। जैसे पंकजा मूंडे के साथ हुआ था। क्या और कैसे होना है यह सब तो वक्त ही बतायेगा।लेकिन अगर ऐसा होता है तो डीडवाना का आगामी चुनाव पक्ष और विपक्ष के लिए भारी पड़ने की आशंका जताई जा रही है।क्यों की जिस अन्दाज में चीनू ने अपने पिता आनंदपाल के लिए अभी तक सब कुछ किया और जिस अंदाजा वो अपने पिता की मृत्यु के बाद लगभग तीन सौ गाड़ियां के काफिले के साथ अपने पैतृक गांव संवारोदा पहुंची यह सब उन कयासों को और भी बल प्रदान करते है। अब यह सब तो वक्त बतायेगा की क्या होने वाला है लेकिन यह भी सत्य है की लोगों ने अभी से ही चीनू को आनंदपाल का सियासी उत्तराधिकारी घोषित करने का मन बना लिया है। और आगामी चुनावों में ऐसा हो भी जाए तो कोई बड़ी भारी बात नहीं होनी चाहिए।
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