#26/11 मुम्बई पर आतंकवादी हमलों में भारतीय कमांडो ऑपरेशन के अगुवा ब्रिगेडियर (retiered) गोविन्द सिंह सिसोदिया===
आज #26/11 मुम्बई में आतंकवादी हमलों की पुण्यतिथि होने के मौके पर यह पोस्ट 26/11 के हमलों के खिलाफ भारतीय एनएसजी कमांडो की जवाबी कार्यवाही को लीड करने वाले ब्रिगेडियर गोविन्द सिंह सिसोदिया और इस हमले में शहीद होने वाले वीर जवानो के नाम----
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जीवन परिचय---
ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया का जन्म हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के चौपाल कसबे के भरनो गांव में हुआ था।
ब्रिगेडियर सिसोदिया अपने परिवार में चार भाइयो में से सबसे छोटे है। इनके पिता का नाम शेर सिंह सिसोदिया था जो राजस्व सेवा में अधिकारी थे।इनके बड़े भाई के एस सिसोदिया पुलिस में डीआईजी पद से रिटायर हुए।दूसरे भाई आईएस सिसोदिया आर्मी में कर्नल पद से रिटायर हुए।जिससे पता चलता है कि यह परिवार शुरू से उच्च शिक्षित और प्रतिभाशाली रहा है।
शिक्षा और बेजोड़ सैन्य सेवा-----
ब्रिगेडियर सिसोदिया ने हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर के गवर्नमेंट विजय हाई स्कूल से बचपन में शिक्षा प्राप्त की। सन् 1975 में भारतीय सेना ज्वाइन करने से पहले इन्होंने S D College, Shimla से उच्च शिक्षा प्राप्त की।सन 1975 में इन्हें 16 सिख रेजिमेंट में नियुक्ति प्राप्त हुई। बाद में इन्होंने 19 और 20 सिख रेजिमेंट का नेतृत्व भी किया।
सन् 1987 में भारतीय सेना के श्रीलंका में शांति स्थापना के अभ्यान में इन्होंने वीरता से भाग लिया तथा एक आतंकवादी हमले के दौरान यह गोली लगने ले कारण घायल भी हुए थे।
बाद में इन्होंने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना के कई ऑपरेशनो में हिस्सा लिया। ब्रिगेडियर सिसोदिया ने करीब 35 साल भारतीय सेना को देकर देश की सेवा की।
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26/11/2008 को मुम्बई पर पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा हमला-----
मुंबई पर 26 नवंबर 2008 के हमलों को भला कौन भूल सकता है. किस तरह 10 हमलावरों ने मुंबई को ख़ून से रंग दिया था. हमलों में 160 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, कई घायल हुए थे.
रात के तक़रीबन साढ़े नौ बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर गोलीबारी की ख़बर मिली. मुंबई के इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन के मेन हॉल में दो हमलावर घुसे और अंधाधुंध फ़ायरिंग शुरू कर दी. इनमें एक मुहम्मद अजमल क़साब था जो हमलों के दौरान गिरफ्तार इकलौता हमलावर है. दोनों के हाथ में एके47 राइफ़लें थीं और पंद्रह मिनट में ही उन्होंने 52 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 109 को ज़ख़्मी कर दिया.
लेकिन आतंक का यह खेल सिर्फ़ शिवाजी टर्मिनस तक सीमित न था. दक्षिणी मुंबई का लियोपोल्ड कैफ़े भी उन चंद जगहों में था जो तीन दिन तक चले इस हमले के शुरुआती निशाने थे. यह मुंबई के नामचीन रेस्त्रांओं में से एक है, इसलिए वहां हुई गोलीबारी में मारे गए 10 लोगों में कई विदेशी भी शामिल थे जबकि बहुत से घायल भी हुए. 1871 से मेहमानों की ख़ातिरदारी कर रहे लियोपोल्ड कैफ़े की दीवारों में धंसी गोलियां हमले के निशान छोड़ गईं. 10 :40 बजे विले पारले इलाक़े में एक टैक्सी को बम से उड़ाने की ख़बर मिली जिसमें ड्राइवर और एक यात्री मारा गया, तो इससे पंद्रह बीस मिनट पहले बोरीबंदर में इसी तरह के धमाके में एक टैक्सी ड्राइवर और दो यात्रियों की जानें जा चुकी थीं. तकरीबन 15 घायल भी हुए.
लेकिन आतंक की कहानी यही ख़त्म हो जाती तो शायद दुनिया मुंबई हमलों से उतना न दहलती. 26/11 के तीन बड़े मोर्चे थे मुंबई का ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस. जब हमला हुआ तो ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे. ख़ासतौर से ताज होटेल की इमारत से निकलता धुंआ तो बाद में हमलों की पहचान बन गया.
मुम्बई एटीएस के हेमन्त करकरे,विजय सालस्कर आदि कई अधिकारी और जवान इन हमलो में शहीद हो गए।तब जाकर नेशनल सेक्यूरिटी गार्ड (N.S.G)के कमांडो को दिल्ली से बुलवाया गया जिनका नेतृत्व कर रहे थे उस समय NSG के DIG गोविन्द सिंह सिसोदिया जी जिन्होंने अपने जवानो के दम पर इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। एन एस जी के जवाबी हमलों के परिपाटी इन्होंने ही तैयार की जिस कारण भारतीय सेना आतंकवाद के इस घिनोने कृत्य का मुँह तोड़ जवाब दे पाई और विजय हुई। ब्रिगेडियर सिसोदिया 26/11 के मुम्बई हमलों के दौरान भारतीय सेना के नायक थे। तथा होटल ताज ओबेरॉय और नरीमन पॉइंट से आतंकवादियों का सफाया इनके जिम्मे था।
ब्रिगेडियर जवाबी कार्यवाही के दिन को याद करते हुए बतातें है की इन हमलों की जवाबी कार्यवाही में सबसे बड़ी चुनौती यह थी की आम जन मानस को कोई क्षति ना पहुचाते हुए दुश्मन का सफाया हो जाये।
इस चुनोती में भारतीय सेना की कार्य वाही सफल भी रही और किसी आम जन को जवाबी कार्य वाही में क्षति नहीं पहुची और अजमल कसाब को छोड़कर सभी आतंकी मारे गए।परन्तु भारतीय सेना ने दो अनमोल जवान गवां दिए। जवाबी हमलों में शहीद हुए अपनी टीम के सदस्यों मेजर उन्नीकृष्णन और गजेन्द्र सिंह को आज भी याद करते हुए इन्हें बहुत दुःख होता है और साथ में ही उनपर गर्व भी होता है।
मुंबई हमले में कई वीर सपूतों को हमने खो दिया। इस हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। यह हमला सिर्फ मुंबई पर न होकर देश पर हमला था। 26-28 नवंबर तक रात दिन चली मुठभेड़ के बाद गोविन्द सिंह सिसोदिया जी के नेतृत्व में कमांडो ने आतंकियों को मार गिराया गया और एक को जिंदा पकड़ लिया गया। इस एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को बाद में पुणे की जेल में फांसी दे दी गई।
अजमल कसाब से सिसोदिया जी ने कड़ी पूछताछ भी की थी जिसमे कई राज उजागर हुए थे।इस जीवित पकड़े गए आतंकी की वजह से ही भारत पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय जगत में शर्मिंदा कर पाया था।
इन्हें 26/11 के हमले के खिलाफ सफल अभ्यान के लिए सेना का वशिष्ठ सेवा मेडल और चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ प्रशंसनीय कार्ड ऑपरेशन रक्षक जम्मू कश्मीर के लिये से नवाजा गया।
समस्त आर्यव्रत और राजपूत समाज को आज अपने इस पूत पर बहोत गर्व है। ब्रिगेडियर सिसोदिया ने एक रघुवंशी क्षत्रिय होने की परम्परा खूब निभाई और देश को रक्षा के लिए अपनी पूरी जिंदगी न्योछावर करदी।
साभार
।। राजपुताना सोच।।
आज #26/11 मुम्बई में आतंकवादी हमलों की पुण्यतिथि होने के मौके पर यह पोस्ट 26/11 के हमलों के खिलाफ भारतीय एनएसजी कमांडो की जवाबी कार्यवाही को लीड करने वाले ब्रिगेडियर गोविन्द सिंह सिसोदिया और इस हमले में शहीद होने वाले वीर जवानो के नाम----
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जीवन परिचय---
ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया का जन्म हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के चौपाल कसबे के भरनो गांव में हुआ था।
ब्रिगेडियर सिसोदिया अपने परिवार में चार भाइयो में से सबसे छोटे है। इनके पिता का नाम शेर सिंह सिसोदिया था जो राजस्व सेवा में अधिकारी थे।इनके बड़े भाई के एस सिसोदिया पुलिस में डीआईजी पद से रिटायर हुए।दूसरे भाई आईएस सिसोदिया आर्मी में कर्नल पद से रिटायर हुए।जिससे पता चलता है कि यह परिवार शुरू से उच्च शिक्षित और प्रतिभाशाली रहा है।
शिक्षा और बेजोड़ सैन्य सेवा-----
ब्रिगेडियर सिसोदिया ने हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर के गवर्नमेंट विजय हाई स्कूल से बचपन में शिक्षा प्राप्त की। सन् 1975 में भारतीय सेना ज्वाइन करने से पहले इन्होंने S D College, Shimla से उच्च शिक्षा प्राप्त की।सन 1975 में इन्हें 16 सिख रेजिमेंट में नियुक्ति प्राप्त हुई। बाद में इन्होंने 19 और 20 सिख रेजिमेंट का नेतृत्व भी किया।
सन् 1987 में भारतीय सेना के श्रीलंका में शांति स्थापना के अभ्यान में इन्होंने वीरता से भाग लिया तथा एक आतंकवादी हमले के दौरान यह गोली लगने ले कारण घायल भी हुए थे।
बाद में इन्होंने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना के कई ऑपरेशनो में हिस्सा लिया। ब्रिगेडियर सिसोदिया ने करीब 35 साल भारतीय सेना को देकर देश की सेवा की।
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26/11/2008 को मुम्बई पर पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा हमला-----
मुंबई पर 26 नवंबर 2008 के हमलों को भला कौन भूल सकता है. किस तरह 10 हमलावरों ने मुंबई को ख़ून से रंग दिया था. हमलों में 160 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, कई घायल हुए थे.
रात के तक़रीबन साढ़े नौ बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर गोलीबारी की ख़बर मिली. मुंबई के इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन के मेन हॉल में दो हमलावर घुसे और अंधाधुंध फ़ायरिंग शुरू कर दी. इनमें एक मुहम्मद अजमल क़साब था जो हमलों के दौरान गिरफ्तार इकलौता हमलावर है. दोनों के हाथ में एके47 राइफ़लें थीं और पंद्रह मिनट में ही उन्होंने 52 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 109 को ज़ख़्मी कर दिया.
लेकिन आतंक का यह खेल सिर्फ़ शिवाजी टर्मिनस तक सीमित न था. दक्षिणी मुंबई का लियोपोल्ड कैफ़े भी उन चंद जगहों में था जो तीन दिन तक चले इस हमले के शुरुआती निशाने थे. यह मुंबई के नामचीन रेस्त्रांओं में से एक है, इसलिए वहां हुई गोलीबारी में मारे गए 10 लोगों में कई विदेशी भी शामिल थे जबकि बहुत से घायल भी हुए. 1871 से मेहमानों की ख़ातिरदारी कर रहे लियोपोल्ड कैफ़े की दीवारों में धंसी गोलियां हमले के निशान छोड़ गईं. 10 :40 बजे विले पारले इलाक़े में एक टैक्सी को बम से उड़ाने की ख़बर मिली जिसमें ड्राइवर और एक यात्री मारा गया, तो इससे पंद्रह बीस मिनट पहले बोरीबंदर में इसी तरह के धमाके में एक टैक्सी ड्राइवर और दो यात्रियों की जानें जा चुकी थीं. तकरीबन 15 घायल भी हुए.
लेकिन आतंक की कहानी यही ख़त्म हो जाती तो शायद दुनिया मुंबई हमलों से उतना न दहलती. 26/11 के तीन बड़े मोर्चे थे मुंबई का ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस. जब हमला हुआ तो ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे. ख़ासतौर से ताज होटेल की इमारत से निकलता धुंआ तो बाद में हमलों की पहचान बन गया.
मुम्बई एटीएस के हेमन्त करकरे,विजय सालस्कर आदि कई अधिकारी और जवान इन हमलो में शहीद हो गए।तब जाकर नेशनल सेक्यूरिटी गार्ड (N.S.G)के कमांडो को दिल्ली से बुलवाया गया जिनका नेतृत्व कर रहे थे उस समय NSG के DIG गोविन्द सिंह सिसोदिया जी जिन्होंने अपने जवानो के दम पर इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। एन एस जी के जवाबी हमलों के परिपाटी इन्होंने ही तैयार की जिस कारण भारतीय सेना आतंकवाद के इस घिनोने कृत्य का मुँह तोड़ जवाब दे पाई और विजय हुई। ब्रिगेडियर सिसोदिया 26/11 के मुम्बई हमलों के दौरान भारतीय सेना के नायक थे। तथा होटल ताज ओबेरॉय और नरीमन पॉइंट से आतंकवादियों का सफाया इनके जिम्मे था।
ब्रिगेडियर जवाबी कार्यवाही के दिन को याद करते हुए बतातें है की इन हमलों की जवाबी कार्यवाही में सबसे बड़ी चुनौती यह थी की आम जन मानस को कोई क्षति ना पहुचाते हुए दुश्मन का सफाया हो जाये।
इस चुनोती में भारतीय सेना की कार्य वाही सफल भी रही और किसी आम जन को जवाबी कार्य वाही में क्षति नहीं पहुची और अजमल कसाब को छोड़कर सभी आतंकी मारे गए।परन्तु भारतीय सेना ने दो अनमोल जवान गवां दिए। जवाबी हमलों में शहीद हुए अपनी टीम के सदस्यों मेजर उन्नीकृष्णन और गजेन्द्र सिंह को आज भी याद करते हुए इन्हें बहुत दुःख होता है और साथ में ही उनपर गर्व भी होता है।
मुंबई हमले में कई वीर सपूतों को हमने खो दिया। इस हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। यह हमला सिर्फ मुंबई पर न होकर देश पर हमला था। 26-28 नवंबर तक रात दिन चली मुठभेड़ के बाद गोविन्द सिंह सिसोदिया जी के नेतृत्व में कमांडो ने आतंकियों को मार गिराया गया और एक को जिंदा पकड़ लिया गया। इस एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को बाद में पुणे की जेल में फांसी दे दी गई।
अजमल कसाब से सिसोदिया जी ने कड़ी पूछताछ भी की थी जिसमे कई राज उजागर हुए थे।इस जीवित पकड़े गए आतंकी की वजह से ही भारत पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय जगत में शर्मिंदा कर पाया था।
इन्हें 26/11 के हमले के खिलाफ सफल अभ्यान के लिए सेना का वशिष्ठ सेवा मेडल और चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ प्रशंसनीय कार्ड ऑपरेशन रक्षक जम्मू कश्मीर के लिये से नवाजा गया।
समस्त आर्यव्रत और राजपूत समाज को आज अपने इस पूत पर बहोत गर्व है। ब्रिगेडियर सिसोदिया ने एक रघुवंशी क्षत्रिय होने की परम्परा खूब निभाई और देश को रक्षा के लिए अपनी पूरी जिंदगी न्योछावर करदी।
साभार
।। राजपुताना सोच।।
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