खबरों की माने तो अलाउद्दीन खिलजी और उनके गुलाम मलिक काफूर के बीच के बीच शारीरिक संबंध थे. कहा जाता है कि एक युद्ध के बाद अलाउद्दीन खिलजी मानसिक रुप से बीमार हो गया था. इसी दौरान काफूर ने उनकी खूब देख-रेख की. चूंकि, काफूर के साथ उसका काफी वक्त गुजरने लगा था, इसलिए वह उससे प्यार कर बैठा. इसमें कब उसने अपनी हदें पार कर उस खुद पता नहीं चला
बाद में वह काफूर का लती हो गया!
उसके संबंध काफूर के साथ कुछ इस तरह हो गये थे कि उसने अपनी सत्ता की बागडोर तक उसके हाथों में दे दी.
हालांकि, इसको लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं, लेकिन ‘इवोल्यूशन ऑफ एजुकेशनल थॉट्स इन इंडिया’ में दोनों की प्रेम कहानी का साफ तौर पर जिक्र मिलता है. इसके अलावा मशहूर किताब ‘तारीख-ए-फिरोजशाही‘ में भी इसका खुलासा किया गया है.
कहते हैं कि जो दिल के सबसे करीब होता है, वही सीने में खंजर भोंकता है. अलाउद्दीन खिलजी के साथ भी ऐसा ही हुआ. खिलजी का पुरुष प्रेम ही उसके अंत का कारण बना. मलिक काफूर, जिनके साथ कथित तौर पर अलाउद्दीन के नाजायज संबंध थे, उसी ने ही खिलजी को जहर देकर मार दिया.
बाद में वह काफूर का लती हो गया!
उसके संबंध काफूर के साथ कुछ इस तरह हो गये थे कि उसने अपनी सत्ता की बागडोर तक उसके हाथों में दे दी.
हालांकि, इसको लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं, लेकिन ‘इवोल्यूशन ऑफ एजुकेशनल थॉट्स इन इंडिया’ में दोनों की प्रेम कहानी का साफ तौर पर जिक्र मिलता है. इसके अलावा मशहूर किताब ‘तारीख-ए-फिरोजशाही‘ में भी इसका खुलासा किया गया है.
कहते हैं कि जो दिल के सबसे करीब होता है, वही सीने में खंजर भोंकता है. अलाउद्दीन खिलजी के साथ भी ऐसा ही हुआ. खिलजी का पुरुष प्रेम ही उसके अंत का कारण बना. मलिक काफूर, जिनके साथ कथित तौर पर अलाउद्दीन के नाजायज संबंध थे, उसी ने ही खिलजी को जहर देकर मार दिया.
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