भारत के वीरपुत्र "जलती चिताएँ"






।।जलती चिताएँ।।
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अंतिम यह संदेश मेरा,
वतन ही है परमेश मेरा।
इसकी रज में मिल जाये,
बस अंतिम अवशेष मेरा।
कूंचा कूंचा खिले चमन का
हरदम साया मिले वतन का
आखरी दिल-ऐ-हसरत बस यह की
रंग तिरगा मिले कफ़न का
चले अलविदा हम साथियो,आंखें हो ना नम साथियो
वतनपरस्ती कायम रखना,कभी ना हो यह कम साथियो

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गाँव का पीपल ओर पनघट जब,
पूछे मेरा हाल जरा तो
एक हवा का झोंका आ के,
तुमसे करे सवाल जरा तो।
अगले साल वो  आएगा,
बस इतना तुम कह देना।
सरहद की मिट्टी मुठ्ठी भर ,
बस उनको  तुम दे देना।।
चले अलविदा हम साथियो,आंखें हो ना नम साथियो

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गाँव मेरे की गलियां तुमको,
बाहें फैलाये मिल जाये तो।
देख तुम फिर वो वर्दी में,
कलियों सी वो खिल जाये तो।।
पूछे वो जो हाल मेरा,
बस एक दिलासा दिला देना।
मेरी लहू की मिट्टी को बस, 
थोड़ी रज में मिला देना।।
कहना बस तुम इतना कहना
हुआ वतन पर फिदा साथियो
चले अलविदा हम साथियो,आंखें हो ना नम साथियो

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रस्ते घर तक ले जायेगें 
बापूजी घर मिल जायेंगे।
कुछ ना कुछ ना कहना,
शख्त बड़े पर हिल जाएंगे।
ना माने जो बात तुम्हारी,
मेरी मेडल,वर्दी  दे देना।
वार जिगर पर झेले सारे,
बस इतना तुम कह देना।।।
शख्त शख्सियत लगे पिघलने,
सहारा उनको दे देना।
कुल की कीर्ति बढ़ा चला,
बस इतना उनको कह देना।।
कहना फिर मैं लौटूंगा ,हावी हो ना गम साथियो
चले अलविदा हम साथियो,आंखें हो ना नम साथियो

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मेरी मायड़ पूछ बैठे की
कहाँ जिगर का लाल मेरा 
कैसे रहता होगा और ,
कैसा है नोनिहाल मेरा।।
चरणों मे बस झुक जाना,
थोड़ी देर को रूक जाना।
हँसता हँसता चेहरा लेकर,
उसके तुम समुख जाना।।
कुल की रखली लाज नी माये,
गम ना करना आज नी माये।
अपने सुत की कुर्बानी पर,
होगा तुम को नाज नी माये।।
दूध के उसकी लाज है रख ली,करे कोई ना गम साथियो
चले अलविदा हम साथियो,आंखें हो ना नम साथियो

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लाल सुर्ख चूड़े को कहना,
महक उठे जुड़ें को कहना
माँ बापू का ध्यान रखे,
इज्जत ओर सम्मान रखे।
घर की अब रखवाल वही है,
अच्छा बुरा हर हाल वही है।
चिठ्ठियों संग में यादों के,
ना खुद को गुमनाम रखे।।
अगला जन्म ले फिर आऊंगा,
अपना बस वो ध्यान रखे।।
गजरे को महकाउंगा मैं,
बिछड़ के फिर न जाऊंगा मैं।
सुनी कलाई माँग हुई है,
उनको फिर से सजाऊंगा मैं।।

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एक नन्ही सी मेरी परी वो,
तुम्हे चहकती  मिल जाये तो
पूछे पापा नहीं आये क्यों, 
रूठ ओर मचल जाये तो
सात समंदर पार कहीं,
परियों की बस्ती बसती है।
गुड़िया लाने वहां गये है, 
मिलती गुड़िया सस्ती है।।
बाहों का झूला झुला के,
एक गुड़िया उसे दिला देना।
तस्वीर देखा फिर मेरी,
लोरी गा के सुला देना।

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जी भर कर दीदार करूँ,
सजदे तुझको हजार करूँ।
वतन मेरे महबूब सनम,
बस तेरी जय जयकार करूँ।।
कह कर इतना हिन्द की गोद में 
सो गयी ,फिर जवानी थी।
कुर्बानी ओर जज्बातों की,
ऐसी एक कहानी थी।।
जलती चिताएँ बस यह पूछे,
कब तक यह अरमान जलेंगे।
कब तक यूँही जंग चलेगी,
कब तक यह हथियार चलेंगे।।

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©®
कुं नरपतसिंह पिपराली


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