।।आखिर क्यों बनता है कोई आनंदपाल।।

सच कहा है किसी ने अपराधी किसी की कुख से जन्म नही लेता बल्कि इस दुनिया की हवा और मजबूरियां किसी को अपराध की शरण में जाने को मजबूर कर देती है। इतिहास गवाह रहा  है की कितने ही डकैत,कितने ही हार्डकोर अपराधी कितने ही गैंगस्टर जन्म से आपराधिक प्रवर्ति के पैदा नहीं हुए है। वक्त हालात और मजबूरियां किसी भी सीधे साधे व्यक्ति को अपराध की दुनिया में धकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। चम्बल के भिहड़ों से लेकर आज के शहर के संगठित अपराधिक साम्राज्य तक अगर अपराध की जड़े खंगाली जाये तो निष्कर्ष हमेशा यही निकल कर आता है की अपराध की जड़े हमेशा वक्त हालात और मजबूरियों से सिंचित होकर अपराध् की सरजमीं पर फैलती है।  माखन सिंह,लाखन सिंह, वीरप्पन,फूलन,गवली,राजन,आनंदपाल और भी अनगिनत नाम है जो हमारे लचर कानून व्यवस्था की कुख से जन्म लेकर मजबूरियों और वक्त हालात के साये में पलकर आपराधिक दुनियां की शख्शियत बने है।लेकिन सिलसिला एक आनंदपाल या अपराध की दुनिया से जुड़ किसी वीरप्पन के एनकाउंटर पर ही खत्म नहीं हो जाता। आपराधिक दुनियां वो ऑक्टोपसि दुनिया  है जिसकी जड़े जितनी कटेंगी हर एक जड़ से अपराध की दुनिया का नया ऑक्टोपस पैदा हो जायेगा। रही सही कसर हमारे कानून संरक्षक और कुटिल राजनीती के कुटिल राजनीतिज्ञ पूरी कर देते है। जो अपने क्षेत्रीय वर्जश्व को कायम रखने के लिए इन आपराधिक जड़ों को अपनी दौलत और सरक्षण की छाया प्रदान कर अपने स्वहितों को साधने हेतु इनको स्तेमाल करते है। 
सारांश निकल कर यही आता है की कुछ लोग मजबूरी से मशहूर हो जाते है तो कुछ लोग मशहूरी से मजबूर हो जाते है ।लेकिन गौर करने वाली बात यह है की आखिर क्यों कोई युवा अपने आप को अपराध के उस दलदल में खुद को धकेल देता है जिस दलदल में उतरना आसान लेकिन  बाहर आना  बेहद ही मुश्किल यूँ कहें की नामुमकिन सा है।यह सब कहानीयां एक ही दिशा में एक ही रास्ते पर चलती नज़र आती है। जिसका आरम्भ भी वक्त और मजबूरियां करती है तो अंत भी वक्त और मजबूरियों के हाथों ही होता है। लेकिन  यह भी सत्य है की अंत ही एक नये आरम्भ की शुरुआत करता है।लेकिन कब,क्यों और कैसे,यह सब वक्त के गर्भ में पलता और वक्त के साथ ही फलता है।
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कुँवर नादान

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2 टिप्पणियाँ

  1. अपराधी कोई पेट से जन्म नहीं लेता,जन्म के बाद कुछ की मजबूरियां तो कुछ मशहूरियां धकेल देती है अपराध के काले साम्राज्य में

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  2. अपराधी कोई पेट से जन्म नहीं लेता,जन्म के बाद कुछ की मजबूरियां तो कुछ मशहूरियां धकेल देती है अपराध के काले साम्राज्य में

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