जय हो जीण जमुवाय ज्वाला

"आरती"
जय हो जीण जमुवाय ज्वाला, जय हो जीण जमुवाय।
कुल कच्छावा कुलदेवी माँ,भवन दियो बणवाय।।
जय हो जीण जमुवाय,.................................

संग मीणा रे मात भवानी, हुयो घणो घमसान
छल कपट सूं फिर बैरीड़ा, जीत लियो मैदान।।
जय हो जीण जमुवाय,.................................(१)

लड़ दुश्मन सूं जद महाराणी,वीर पड़्या मैदान।
विकल हुयी फिर प्रजा सारी,उल्टो उगियो भान।।
जय हो जीण जमुवाय,.................................(२)

सूर्यवंश रा सूरज न जद,घेर लियो अंधकार।
सुण राणी री करुण वेदना,लियो गऊ अवतार।।
जय हो जीण जमुवाय,.................................(३)

करुणामयी मां करुणदायनी,दियो दुग्ध वरदान।
टूट्या घोड़ा भागण लाग्या, जीत लियो कमठान।।
जय हो जीण जमुवाय,.................................(४)

कुल री राखी लाज भवानी,बण कुल री मां काय।
कुल कछावा सदा सहायी,जगदम्बा महामाय।
जय हो जीण जमुवाय,.................................(५)

बीच पहाड़ा रामगढ़ र,थर्प दियो थारो थान।
जगमग ज्योत जगे दिन रातां,ध्वजा फरूके असमान।।
जय हो जीण जमुवाय,.................................(६)

ढोल नगाड़ा झांझ री मैया,छणक री झणकार।
धाम मैया र नित उठ देखो,हो रही जय जयकार।।
जय हो जीण जमुवाय....................................(७)

खीर चूरमो चढ़े मैया र,लडवां रो नित उठ भोग।
जात जड़ूला और लाग री,गठजोड़ा री धोक ।।
जय हो जीण जमुवाय.................................(८)

शेखाणा री साख राखज्यो,कुलदेवी महामाय।
भक्त खड़या अरदास करे माँ,भक्त री सदा सहाय।।
जय हो जीण जमुवाय ....................................(९)

कुंवर थारो चरणा रो चाकर,विनती लीज्यो मान।
नित उठ रहूँ चरण में हाजीर,देड्यो ओ वरदान।।
जय हो जीण जमुवाय .................................(१०)
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कुँवर नरपतसिंह पिपराली{नादान}

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