"सामाजिक स्वावलंबन"
पिछले कुछ सालों में बहुत सारे सामाजिक घटनाक्रमों ने हमे बहुत सारे सबक बहुत सारी बातें सिखा दी है अगर हम इनसे कुछ सीखना चाहे तो,इन सारे घटनाक्रमों के बाद तो अब एक बात साफ हो गयी है कि हमें हमारी सामाजिक एकता के साथ साथ उन सभी पहलुओ पर भी गोर करने की आवश्यकता जो वर्तमान परिपेक्ष में समाज के युवाओ को जाग्रत कर उनको एक सुंदर संगठित ओर उज्वल भविष्य के निर्माण का सदमार्गी बनाये।इसके साथ साथ हमारे समाज के प्रबुद्धजनो को वर्तमान में उत्पन इस विकट परिस्थिति पर मंथन और मनन के लिये आगे लाकर इस उनकी भागीदारी सुनिश्चित कर उनके अनुभवों का लाभ उठाया जाये ।हमेशा देखा गया है कि कुछ ज्वलंत सामाजिक मुद्दों पर हमारे प्रबुद्ध ओर हमारे युवाओं में मतभेद उत्पन हो जाते और एक टकराव की स्थिति तक पैदा हो जाती है। इन सब बातों पर गौर करते हुए युवाओं के साथ साथ समाज के विशिष्ट ओर प्रबुद्धजनों को भी थोड़े से संयम के साथ निम्न बिन्दुओ पर आत्मचिंतन की आवश्यकता है की....
1-समाज मे छुपे असामाजिक तत्वों की पहचान कर युवा शक्ति को इन सब से कैस अछूता रखा जाये??
2-सामाजिक अनुसशासन, सामाजिक नियमो,सामाजिक उत्थान की योजनाओ का किर्यान्वन और इस सब का सुव्यवस्थित प्रबन्धन कैसे किया जाये ??
3-समाज के युवाओं को स्वरोजगार की और कैसे प्रेरित किया जाये ??
4-आपसी और परस्पर सहयोग से समाज और कौम के प्रति निस्वार्थ सेवा का भाव कैसे उत्पन किया जाये ??
5-समाज को स्वावलंबी बनाने की प्रक्रिया कैसे अपनायी जाये ??
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कुं.नरपतसिंह 'पिपराली
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