मुगल हिन्दाल का शिखरगढ़ पर आक्रमण:-
26 दिसम्बर 1530 को बाबर की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र हुमायु बादशाह हुआ।उसके भाई हिन्दाल को मेवात की जागीरी मिली।वि. स. 1590 ई. 1533 में उसने शेखावतों पर के प्रदेश पर आक्रमण कर दिया और शिखरगढ को घेर लिया,लेकिन रायमल जी को पहले से ही युद्ध का भान हो गया था अतः उन्होंने इससे पूर्व सभी तरह की सामरिक सामग्री एकत्रित कर ली थी।उधर शिखरगढ़ पर आक्रमण का सुन आमेर नरेश पूर्णमल जी भी रायमलजी की सहायतार्थ आ गए। रायमल जी और आमेर की सयुक्त सेना हो जाने से रायमल जी की सैन्य शक्ति हिन्दाल की सेना के समान हो गयी थी, हिन्दाल ओर रायमलजी की सेना के बीच डटकर मुकाबला हुआ।आमेर के राजा पूर्णमल जी माघ सुदि वि. स. 1590 के दिन काम आये।हिन्दाल की सेना को भी भारी नुकसान हुआ और वो रायमल जी और आमेर की सेना के सामने टिक नही पाया और भाग खड़ा हुआ।इस युद्ध मे रायमलजी की सेना को भी भारी नुकसान हुआ लेकिन इस युद्ध मे विजय श्री रायमलजी के हाथ लगी।
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